खिड़कियों की साजिशों से कुछ हवा की ढील से झोपड़ी जल ही न जाए देखना कन्दील से
एक छोटा ही सही पर घाव देकर मर गई यूँ वो चिड़िया अन्त तक लड़ती रही उस चील से
तू कचहरी की तरफ चल तो दिया पर सोच ले फाँस गर निकली तेरी निकलेगी प्यारे कील से
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